हिंदी दिवस प्रतियोगिता ,स्त्री प्रेम
हिंदी दिवस प्रतियोगिता no 17 ,स्त्री प्रेम
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स्त्री प्रेम नहीं करती, पूजा करती है,, उस पुरूष की, जो उसे सम्मान देता है.!!! 💞
💗 स्त्री सौंप देती है अपना सब कुछ,, उस पुरूष को, जिसके स्पर्श और भाव से वो संतुष्ट होती है.!!! 💞
💗 स्त्री छूना चाहती है प्रेम में उस पुरूष को,, जिसके कांधे पर सिर रख ख़ुद को सुरक्षित महसूस करती है.!!! 💞
💗 स्त्री होकर भी नहीं हो पाती उस पुरूष की, जो ख़ुद के पौरुष की ताकत हर वक्त दिखाता रहता है,, कभी उसके तन पर तो कभी उसके कोमल मन पर.!!! 💞
💗 स्त्री नफरत करती है उस पुरूष से, जो उसके अस्तित्व को ठेस पहुंचाते है.!!! 💞
💗 स्त्री लड़ना नहीं चाहती पर लड़ जाती है उस पुरूष से, जिस पर अपना अधिकार समझती है.!!! 💞
💗 स्त्री बड़बोली होती है, पर खामोश हो जाती है तब जब प्रेम में किसी वस्तु की तरह ठुकरा दी जाती है.!!! 💞
💗 स्त्री कभी पलटकर नहीं देखती उस पुरूष को, जो प्रेम के नाम पर या तो उसके शरीर से प्रेम करता है या उसके यौवन से.!!!💞
💗 स्त्रियाँ प्रेम नहीं करती, पूजा करती है उस पुरूष की जो उनका सम्मान करते हैं, जो उन्हें तब तक स्पर्श नहीं करते, जब तक वो उसके मन को छू नहीं लेते.!!! 💞
💗 स्त्रियाँ पुरूष के पौरुष से नहीं उसके व्यक्तित्व से प्रेम करती है,, जो परमेश्वर नहीं होता बल्कि होता है प्रेमी, बस एक प्रेमी जो पढ़ना जानता हो उसका मौन को.!!! 💞
💗 स्त्रियां अपने आपको समर्पित करती हैं उस पुरुष को, जिसकी दृष्टि में हर वक्त वो देखे, (ढलती आयु में भी) अपने सौंदर्य और यौवन को.!!! 💞.....✍️✍️✍️
Shashank मणि Yadava 'सनम'
30-Sep-2022 11:11 AM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ
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आँचल सोनी 'हिया'
20-Sep-2022 09:13 PM
Achha likha hai 💐
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Reena yadav
20-Sep-2022 08:31 PM
👍👍
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